गांव और शहर के किस्से

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::      Gaanv Ka Benifits


गांव में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति पे भरोसा करते है। शुरू से दोस्तो के साथ में खेलते है थोड़े बड़े हो जाते हैं। उसके बाद वह खेती बाड़ी में फसल उगाता है कड़ी मेहनत करता है खैती करने में ।

उसके बाद उससे फसल आते है उस फसल से उनका महीनो का अनाज प्राप्त करते है श्रम से ।


उसके बाद वह अनाज को बेच भी देते है ।

                   गांव के किसान ही नहीं बल्कि और सभी लोग पेड़ के नीचे गर्मियों में रहते है । क्युकी वहा पे बिजली की सुविधा नहीं होता। बच्चों को बचपन से जो सिखाया जाता वो उसमे सफलता हासिल करते है । बिना खाध के खाना खाते है जिससे सबके शरीर का स्वास्थ बेहतर रहता है । गांव में लगभग लोगों के घर में गौ माता रहती हैं जिससे उन घर के लोग कभी कष्ट में नहीं रहते भोजन के कारण। /।           ।    ।


गांव की हरियाली और वहां की खूबसूरती बड़े बड़े मकानों से भी नहीं की जा सकती । वहा के पहाड़ वहा की वाडिया ।

ये जगत भगवान की है । जिससे हमारा भला होता है और पेड़ो से फल सब्जियां अनाज हमें प्राप्त होती है । इस अनाज के लिए एक शहरी आदमी अपना ईमान बेच देता है । ये है गांव में रहने वालों लोगो की ईमानदारी वाली मेहनत का कमाल ।
 

        ::  गांव को नुकसान पहुंचाते इंसान

   गांव को अक्सर पढ़े लिखे लोग ही बरबाद करते है ।


 पढ़े लिखे लोगों को आजकल विज्ञान इतना पसंद आ गया की वो आज की दुनिया पहले की दुनिया से बराबरी नहीं कर सकते जो हमारे हिट में हो वही करना सही होता है प्रकृति भी इसकी बधाई देती है और सबको सम्मानित भी करती है ।

                  गांव को बरबाद करने का पहला पहलू है वहां के पेड़ो को काटा जाता है । उसके बाद वहां पे पक्की सड़कें बनाई जाती है । पक्की सड़कों में पानी का जमाव नहीं होता और कच्ची सड़के गांव को और मनमोहक बनाती है। 

     :: शहर 

     शहर की खूबसूरती उसके मकानों को देख के करते है लोग अक्सर। और ऐसा होता भी है ज्यादा सुविधा होती है जैसे यहां पे डॉक्टर्स होते है जो किसी बीमारी को दवाई से खत्म कर देते है। 

     साइंटिस्ट होते है जो किसी रसायनिक कार्य से और भौतिक विज्ञान से हमारा विकास कर रहे हैं। इस ग्रह से दूसरे ग्रह जाने के लिए यंत्र बनाते है ।

     यातायात की सुविधा होती है जिससे व्यक्ति को आसानी होती है एक जगह से दूसरे जगह जाने में । 

        :: सहर की खराबी

यातायात भी प्रकृति(समुद्री तेल)के बिना संभव नहीं। 

बिना पानी के बिजली उत्पन्न होगा नहीं। 

पीने से ज्यादा पानी बिजली का उपयोग होता। 

यहां के बच्चे सब बचपन से ही बिगड़े होते है ।

यहां की मानसिकता होती है दूसरे को नीचा दिखाना, इस दिखावटी दुनिया में घमंड बिना कुछ किए ही कोई । घमंड से ही गुस्सा और दर, मानसिकता बन जाती है। ईमानदार बहादुर बहुत कम ही होते है।


बच्चों को मोबाइल दे दिया जाता है जिसमे इंटरनेट जैसे खतरनाक चीज़ को दे देते है । 

जो उनकी मानसिकता को बदल देता है। 




   आशा है आपको हमारा ब्लॉग पसंद आया होगा इससे मुझे पैसे नहीं कमाने । मानसिकता विस्तार करने में मदद करने की कोशिश की ।

   प्रकृति हमारी दुश्मन नहीं दोस्त है । जय हिंद 

           जय आचार्य चाणक्य ।


     

     

टिप्पणियाँ

RAHUL CHOUDHARY ने कहा…
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